भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की आबादी का बहुत बड़ा भाग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि एवं कृषि से सम्बन्धित उद्योग-धन्धे रोजगार के महत्वपूर्ण साधन है। औद्योगिकरण, शहरीकरण की निरन्तर प्रवृति, भूमि के स्वरूप में परिवर्तन भूमि हस्तान्तरण, पंजीयन, लोनींग एवं भूमि आधारित योजनाओं की क्रियान्विति के सन्दर्भ में भू-अभिलेखों का निरन्तर, सही आदिनांक होना नितान्त आवश्यक है। कृषकों का भूमि सम्बन्धी रिकार्ड सही तरीके से आदिनांक होना अत्यन्त आवश्यक है। भू-अभिलेखों का आदिनांक करने सम्बन्धी कार्य भू-अभिलेख विभाग द्वारा सम्पादित किया जाता है। विभाग द्वारा सर्वेक्षण, पुनः सर्वेक्षण एवं सम्बन्धित भू-अभिलेख का कार्य समय-समय पर सम्पन्न कराया जाता रहा है। यद्यपि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भू-राजस्व राजकीय आय का कोई महत्वपूर्ण भाग नहीं है, फिर भी भूमि समस्त आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु है।