राजस्थान भूमि सुधार एवं जागीर पुर्नग्रहण अधिनियम,1952 के अध्याय 5 धारा 21 के तहत राज्य सरकार द्वारा समय समय पर अधिसूचना जारी कर जिन जागीर दारो की भूमि पुर्नग्रहित की गई उनके बाबत जागीर आयुक्त राजस्थान,जयपुर एवं जागीर कलक्टरो के द्वारा निम्न कार्यवाही की जाती है:-
राजस्थान राजपत्र 9 मई, 1956 के अनुसार अधिनियम की धारा 26 (ए) के तहत 5000 रूपये की वार्षिक आय वाले जागीरदारो को मुआवजे का भुगतान संबधित जिला कलक्टरो के द्वारा एवं 5000 से 10000 रूपये वार्षिक आय वाले जागीरदारो को मुआवजे का भुगतान संभागीय आयुक्त द्वारा किया जाता था एवं 10000 रूपये से अधिक वार्षिक आय वाले जागीरदारो को धारा 38 की तृतीय अनुसूची में वर्णित प्रावधानो के अनुसार शुद्व आय के ग्यारह गुणा तक अधिकतम भुगतान किया जाने का प्रावधान है । उक्तानुसार ही विभाग द्वारा भूतपूर्व जागीरदारो को मुआवजे का भुगतान किया जाता है ।
अघिनियम की धारा 21 के तहत अवाप्त भूमि के बदले जिन जागीरदारो द्वारा निर्धारित फार्म सं0 3 को राज्य सरकार द्वारा नियत समय (धारा-14(1) के प्रावधानुसार दिनाक 31.8.1958 या जागीर अवाप्ति के तीन माह की अवधि में ) प्रस्तुत किया था उन्हे अधिनियम की धारा 18 के अनुसार अवाप्त शुदाभूमि के आधार पर गणना कर अधिकतम 500 एकड भूमि का आवंटन धारा 19 के निर्धारित क्रम में किया जाता रहा है ।
राज्य सरकार के आदेश दिनांक 8.9.1965 के द्वारा केवल एक मुरब्बा (25 बीघा) भूमि ही आवंटन के आदेश थे तत्पश्चात पत्र दिनांक 22.11.2002 के अनुसार भूमि का आवंटन धारा 19 के प्रावधानुसार न करके वन इन्दिरा गॉधी नहर परियोजना के द्वितीय चरण में आरक्षित भूमि में से ही खुदकाश्त भूमि आवंटित करने के निर्देश प्राप्त हुए थे । एवं तदनुसार ही आवंटन की कार्यवाही की जाती रही है । कुछ प्रकरणो में राज्य सरकार के आदेश दिनांक 22.11.2002 में राज्य सरकार द्वारा/न्यायालय के निर्णयों के आधार पर शिथिलता प्रदान करने के कारण अन्य स्थानो पर भी आवंटन किया गया है । वर्तमान में धारा 19 में संशोधन किया जाकर के वन इन्दिरा गॉधी नहर परियोजना के द्वितीय चरण में ही आवंटन किये जाने को समावेशित कर लिया गया है ।
अधिनियम की धारा 23 एवं जागीर पुनर्ग्रहण अधिनियम 1954 की धारा 22 के अनुसार निजि सम्पत्ति की घोषणा बाबत प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर संबधित जिला कलक्टर के माध्यम से नियम 23 के तहत जॉच करने के पश्चात जागीर आयुक्त द्वारा निजि सम्पत्ति घोषित की जाती है ।
मंदिर माफी के प्रकरणो मंदिरो की भोग राशि का भुगतान एवं भूतपूर्व जागीरदारो के ठिकाना कर्मचारियो के पेंशन प्रकरणो का निस्तारण भी जागीर आयुक्त द्वारा किया जाता है।