राजस्व प्रशासन में भू-प्रबन्ध विभाग एवं भू-प्रबन्ध प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भू-प्रबन्ध विभाग द्वारा भू-प्रबन्ध संक्रियाओं के माध्यम से सर्वेक्षण, पुनः सर्वेक्षण एवं तरमीम सर्वेक्षण कर राज्य के भू-अभिलेख एवं राजस्व नक्शों को आदिनांकित करने का कार्य किया जाता है। इस कार्य से विभिन्न राजकीय विभागों की भूमि आधारित विभिन्न योजनाओं यथा नहर, सड़क, पुल, रेल्वे लाईन, बांध आदि आधारभूत संरचनाओ के निर्माण में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका रही है अपितु काष्तकारों की भूमि सम्बन्धी जटिल समस्याओं के निराकरण में भी भू-प्रबन्ध विभाग का सहयोग रहा है। इसके अतिरिक्त राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त भूमि-सीमांकन सम्बन्धी जटिल प्रकरणों में विभाग द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है। विभाग के आधुनिकीकरण के क्रम में 4 वर्कस्टेशनों की स्थापना की जाकर उन में सम्पूर्ण राज्य के नक्शों की स्कैनिंग तथा स्केल परिवर्तन का कार्य सम्पादित किया जा रहा है। विभाग के मुख्यालय पर स्थित भू-प्रबन्ध प्रशिक्षण संस्थान भी संचालित है, जिसमें राज्य प्रशासनिक अधिकारीगण एवं अमीन/पटवारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राज्य के कुल 11 जिलों में सर्वेक्षण कार्य आधुनिक सर्वे यंत्रो से आउटसोर्स से करवाये जाने की वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। इस हेतु कार्य प्रक्रियाधीन है।