न्यायिक कार्य

न्यायिक कार्य 

न्यायिक कार्य न्याय शाखा के माध्यम से सम्पादित किये जाते हैं। न्याय शाखा के प्रभारी अधिकारी अतिरिक्त निबन्धक(न्याय) श्रीमती दीप्ति शर्मा हैं। न्याय शाखा में 5 अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी, 18 सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 27 वरिष्ठ सहायक, 32 कनिष्ठ सहायक एवं 2 सहायक प्रोग्रामर पदस्थापित हैं। इसके अतिरिक्त वर्तमान में स्वीकृत माननीय सदस्यगण के 20 पदों में से 15 माननीय सदस्य कार्यरत हैं। प्रत्येक माननीय सदस्य को 1 शीघ्र लिपिक संवर्ग का कार्मिक, 1 रीडर एवं 1 सहायक रीडर उपलब्ध कराये गये हैं। न्याय शाखा के कार्मिकों द्वारा राजस्व मुकदमों की पत्रावलियां संधारित कर उनमें आदेशानुसार वांछित कार्यवाही की जाती है।

अध्यक्ष, राजस्व मण्डल तथा सदस्यगण द्वारा राजस्व मुकदमों की सुनवाई एवं निस्तारण का कार्य किया जाता है।

राजस्व मण्डल का अधिकार क्षेत्र समस्त राजस्थान है। अध्यक्ष, राजस्व मण्डल अपने अधिकार क्षेत्र के कार्य विभाजन हेतु सक्षम है। राजस्व वाद सदस्यों की एकलपीठ तथा खण्डपीठ एवं वृहदपीठ, जिसमें दो या दो से अधिक सदस्य होंगे, द्वारा सुने जा सकते हैं।

 

एकलपीठ द्वारा सुने जाने वाले वादः-

1.विविध आवेदन पत्र

2.मण्डल द्वारा अनुपस्थिति के कारण खारिजी के आदेश को अस्वीकार करने के लिये आवेदन पत्र या एक पक्षीय निर्णय

3.मण्डल के एकल सदस्य द्वारा पारित निर्णय के पुनरावलोकन के लिये आवेदन पत्र

4.संदर्भ

5.प्रकरणों के हस्तांतरण के लिये आवेदन पत्र

6.पुनरीक्षण

7.राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 76 के खण्ड (घ) के तहत् तथा राजस्थान कृषि जोत पर अधिनियम सीमा अधिरोपण अधिनियम, 1973 की धारा 28(2) के तहत् मण्डल की द्वितीय अपील

खण्डपीठ द्वारा सुने जाने वाले वादः-

1.अपील में मण्डल के ध्यान में लाये जाने वाले समस्त दस्तावेज व आदेश अलावा उनके जो नियम 8 के खण्ड (अपपप) में निर्दिष्ट हैं।

2.यदि एकल पीठ द्वारा सुनवाई किये गये किसी मामले में विधि या विधि की शक्तिशाली रूढि या किसी दस्तावेज की सरंचना का प्रश्न निर्णय के लिये न्याय पीठ को निर्देशित किये जाने पर निर्णय में दो सदस्यों के बीच मतभेद होने की दशा में तीसरे सदस्य को, जिसमें अध्यक्ष भी होंगे, सुनवाई हेतु भेजा जायेगा।

निबन्धक (रजिस्ट्रार) राजस्व मण्डल की न्यायिक शक्तियां एवं कर्तव्यः-

1.वारण्टों पर हस्ताक्षर करने तथा उन्हें जारी करने के साथ-साथ नोटिस तथा अन्य हुक्मानामों को जारी तथा तामील करने संबंधी सभी मामलों का निस्तारण करना।

2.अपील अथवा आपत्तियों के किसी ज्ञापन, याचिका अथवा आवेदन पत्र में औपचारिक कमियों को दूर करने के लिये अनुमति देना।

3.निम्नलिखित से संबंधित अविवादात्मक आवेदन पत्रों को स्वीकार करना, इनमें आवश्यक आदेश जारी करना तथा उनका निस्तारणः-

  • मृतक पक्षकारों के विधिक प्रतिनिधियों को अभिलेख पर लाना, बशर्ते कि सम्पति अथवा समय सीमा का कोई प्रश्न नहीं उठता,
  • मुकदमों के लम्बित रहने की अवधि में किसी हित का अभिहस्तांकन, सृजन अथवा अधिकारान्तरण को लेखबद्ध करना, 
  • हितेषी अथवा संरक्षक की फीस तथा खर्चा सहित मुकदमें के लिये हितेषी अथवा संरक्षक की नियुक्ति करना अथवा उसे हटाना

4.गवाहों के खर्चों तथा भत्तों के भुगतान से संबंधित मामलों पर कार्यवाही करना।

5.(न्यायपीठ में प्रस्तुत किये जाने के लिये) निगरानी तथा पुनरावलोकन की अपील तथा आवेदन पत्रों को प्राप्त करना।

6.मण्डल द्वारा पारित डिग्री तथा आदेशों को निष्पादन के लिये अन्य न्यायालयों को भेजना।

7.मण्डल के आदेशाधीन समझौते का सत्यापन करना अथवा किसी व्यक्ति के शपथ के कथन को लेखबद्ध करना।

8.निचली अदालत के उस प्रकरण में, जिसमें प्रकरणों के निरीक्षण करने के लिये उस अदालत को निर्देशित किया गया है, तजवीज के प्रस्तुतीकरण के लिये समय में वृद्धि करना।

9.निर्णय की प्रतियों को अलग करना जहां ऐसी प्रतियां कम से कम एक संबंधित अपील अथवा निगरानी में पेश की गई है।

10.ऐसे आदेशों के अध्यधीन, जैसा कि मण्डल समय-समय पर पारित करें, मुकदमों की प्रगति से संबंधित समस्त मामलों में कार्यवाही करना,

11.शपथ-पत्रों को प्राप्त करना तथा इनके प्रस्तुत करने के आधारों का सत्यापन करना।

12.ये निर्देश देना कि कोई मामला मण्डल के सम्मुख रखा जावे।

13.ऐसे अन्य कार्य करना जो मण्डल द्वारा निर्देशित किये जावे।

14.निबन्धक की अनुपस्थिति में अतिरिक्त निबन्धक कार्य करेगा। निबन्धक की अनुपस्थिति में अतिरिक्त निबन्धक, निबन्धक की शक्तियों, कर्तव्यों, कृत्यों का प्रयोग करेगा और अतिरिक्त निबन्धक की अनुपस्थिति में उप निबन्धक, अतिरिक्त निबन्धक की शक्तियों, कृत्यों तथा कर्तव्यों का पालन करेगा और उप-निबन्धक की अनुपस्थिति में सहायक निबन्धक, उप निबन्धक की शक्तियों, कर्तव्यों का पालन करेगा।

राजस्व मण्डल में राजस्व मुकदमों के दायर करने तथा निस्तारण व न्यायालय संबंधी समस्त कार्यों एवं प्रक्रिया के संबंध में आवश्यक प्रावधान राजस्थान रेवेन्यू कोर्ट्स मैन्यूअल, 1956 भाग 1 व 2 में प्रकाशित किये गये हैं।

राजस्व मण्डल में न्यायिक कार्यों की प्रक्रियाः-

 माननीय बैंच के सम्मुख प्रस्तुत किये जाने वाले समस्त कैसेज यथा अपील, निगरानी, रेफरेन्स एवं प्रार्थना पत्र आदि सर्वप्रथम निबन्धक के न्यायालय में प्रस्तुत किये जाते हैं, जिनकी जांच की जाकर संबंधित लिपिक द्वारा चैकलिस्ट तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। कैम्पकोर्ट में यह कार्य संबंधित पीठासीन अधिकारी के रीडर द्वारा सम्पादित किया जाता है। रिपोर्ट एवं चैकलिस्ट के आधार पर अतिरिक्त निबन्धक(न्याय) के स्तर से प्रकरण को दर्ज रजिस्टर कर बैंच के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिये जाते हैं। इस हेतु केस की कम्प्यूटर आई.डी. नम्बर आवंटित किया जाता है।

इसके पश्चात् प्रकरण कॉज़लिस्ट शाखा को सुनवाई हेतु बैंच के समक्ष लगाने के लिये भेजा जाता है, जहां साप्ताहिक कॉज़लिस्ट में प्रकरण को सम्मिलित किया जाता है। निर्धारित दिनांक को न्याय शाखा द्वारा प्रकरण की पत्रावली निर्धारित बैंच के समक्ष प्रस्तुत की जाती है।

 नोटिस जारी कर पक्षकारों पर तामिल कराने व अधीनस्थ न्यायालयों से रेकॉर्ड मंगाने की कार्यवाही निबन्धक कोर्ट स्तर पर पूर्ण की जाती है। यह सभी कार्यवाही पूर्ण होने पर प्रकरण की पत्रावली बैंच के समक्ष सुनवाई व निर्णय हेतु प्रस्तुत की जाती है। प्रकरण में निर्णय पारित होने के पश्चात् पत्रावली पालना हेतु संबंधित लिपिक को भिजवा दी जाती है, जो पालना के बाद अधीनस्थ न्यायालय का रेकॉर्ड मय निर्णय प्रति के संबंधित अधीनस्थ न्यायालय को लौटान की कार्यवाही करता है। प्रकरण की पत्रावली रेवेन्यू कोर्ट मैन्यूअल के प्रावधानुसार कन्साईन कर रेकॉर्ड रूम में भिजवा दी जाती है।

मण्डल के सभी राजस्व मुकदमों का कम्प्यूटराईजेशन कर इन्हें कम्प्यूटर आई.डी. नम्बर आवंटित किये जाने से पत्रावलियों का रख-रखाव अत्यधिक सुविधाजनक हो गया है, जिनकी वर्तमान स्थिति पक्षकारगण मण्डल परिसर में स्थित टच स्क्रीन मशीन पर देख सकते हैं।

 राजकीय अभिभाषकः-

राजस्व मण्डल में सरकार की ओर से मुकदमों में पैरवी के लिये एक राजकीय अभिभाषक, एक अतिरिक्त राजकीय अभिभाषक तथा 11 उप राजकीय अभिभाषक नियुक्त हैं।

 

निर्णय/दस्तावेज़ों की प्रतिलिपि प्राप्त करने की प्रक्रियाः-

इस कार्य हेतु पृथक सेल खोला गया है, जहां से वांछित प्रतिलिपियां निर्धारित प्रपत्र में आवेदन कर प्राप्त की जा सकती है।

सभी राजस्व मुकदमों को कम्प्यूटर में दर्ज कर कम्प्यूटर आई.डी. नम्बर दिया गया है, जिससे त्वरित गति से प्रकरण की स्थिति ज्ञात की जा सकती है।

दिनांक 01.01.2005 से नई कॉजलिस्ट प्रणाली प्रारम्भ की गई है, जिसके तहत् आगामी एक सप्ताह में बैंच में लगने वाले मुकदमों की रीजियाग्राफी से अधिकृत अभिभाषकों को न्याय शाखा द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

मण्डल में टच स्क्रीन मशीन स्थापित की गई है, जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी समय अपने प्रकरण की संपूर्ण जानकारी अपनी अंगुलियों के स्पर्श मात्र से ज्ञात कर सकता है। इसकी भाषा पूर्णतः हिन्दी है। वादों की तारीख पेशी टेलीफोन से भी संपूर्ण हिन्दुस्तान के किसी भी शहर, किसी भी प्रांत के व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जा सकती है।

मण्डल में नवाचार के तौर पर न्यायिक वाद डिस्पले सिस्टम स्थापित किया गया है जिसके तहत प्रत्येक न्यायालय में 2 टी वी तथा 1 कम्यूटर स्थापित किया गया है जिसमे उस न्यायालय में सुनवाई किये जा रहे वाद की स्थिति प्रदर्शित की जाती है तथा कम्यूटर के माध्यम से ही वादी एवं प्रतिवादी अभिभाषक को आवाज भी लगवाई जाती है। मण्डल परिसर में 3 स्थानों पर सभी न्यायालयों की संकलित सूचना भी प्रदर्शित की जाती है उक्त सूचना वादी/प्रतिवादी अपने मोबाईल पर भी देख सकता है।

 

अधीनस्थ राजस्व न्यायालयः-

 राजस्व मण्डल के अधीनस्थ निम्नांकित न्यायालय हैंः-

           

1.संभागीय आयुक्त - 7

2.जिला कलक्टर - 33

3.अतिरिक्त जिला कलक्टर - 59

4.राजस्व अपील प्राधिकारी - 14

5.भू-प्रबन्ध पदेन राजस्व अपील प्राधिकारी - 9

6.उपखण्ड अधिकारी - 315

7.सहायक कलक्टर – 78

8.तहसीलदार - 392

 

 

 

Responsible Officer : Addl.Registrar (Judicial)

Last Update : 29.03.2023